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आखिर और कब तक?

आखिर और कब तक?

हा तो फिलहाल मैं इसकी शुरुआत एक प्रश्न से करना चाहूँगी! जहां एक तरफ इस भारत को माता का स्वरूप माना जाता है, वही दूसरी ओर इस देश की एक भी बेटी सुरक्षित नही है।

यहां आये दिन ऐसी घटनायें सामने आती हैं, जो हमें ये सोचने पर मजबूर कर देती है आखिरकब तक? और कब तक ऐसी घटनायें होती रहेगी?

 

मैं आपसे पूछती हूं, और कब तक एक नारी को डर - डर के जीना होगा, क्या उसे खुले विचारों मे जीने का हक नही?

मुझे तो हंसी उन लोगों पे आती है जो लोग इन घटनाओ को देखकर, शान्तिपूर्वक बैठ जाते है। कभी- कभी सोचती हूं, क्या उन्हें ये सब दिखायी नही देता या फिर आँख पर पट्टी बांधकर अन्धे होने का दिखावा करते हैं।

और सलाम तो मैं उन लोगो को करना चाहूंगी जो ऐसी घटनाओं पर सोशल मीडिया पर सहानुभूति जताते है, अगर वही लोग एकसाथ आकर मदद करे तो शायद हालात कुछ और हो।

इस देश मे ऐसे कुछ महान नेता भी है जो कहते है, ऐसी घटनाओ से बचना है तो अपनी बेटियों को फुल कपडो़ मे घर से बाहर भेंजे, चलो एक बार मै मान भी लेती हूं लेकिन उस 3 या 4 साल की नन्हीं सी परी का क्या, उसकी क्या गलती थी? या अब उसे भी साडी़ पहनाना पडे़गा।

क्यों हर समय बेटी को ही दोषी ठहराया जाता है? बेटों को समझाओं ना कि वो अपनी सोच बदले।

अब मैं आपको पिछली कुछ पुरानी घटनायें याद कराना चाहूंगी। 16 दिसम्बर (निर्भया रेप केस) याद तो होगा ही, कितनी निर्मम तरह से रेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी। आज कितनों सालों के बाद जाकर उस निर्भया को इंसाफ मिला, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसके साथ पूरी तरह से न्याय किया गया।

उन पॉच रेपिस्ट मे एक ने तो आत्महत्या कर ली और तीन को फॉसी हुई और चौथा जिसका सबसे बड़ा हांथ था अदालत ने उसको नाबालिक करार कर दिया। क्या यही इन्साफ है जब वो ये सब कर रहा था क्या तब वो नाबालिक नही था तो सजा देते समय अदालत ने उसे कैसे छोड़ दिया? वो निर्भया तो चली गयी लेकिन वो भी यही सोचती होगी इस देश के लोगों ने उसे न्याय नही दिलाया और वो नाबालिक आज खुलेआम घूम रहा है, अरे!! कोई उस निर्भया का दुख क्यो नही समझा?

लेकिन हम और कुछ कह भी नही सकते हमारे देश का कानून ही यही है, नाबालिक जितनी भी बडी गलती करे, उसे सजा नही मिलती, क्यो? अरे भाई वो नाबालिक है कहकर छोड़ दिया जाता है। आजकल छोटी-छोटी बच्चियों के साथ ऐसी घटनायें हो रही है और करने वाले 13, 14 साल के बच्चें। ऐसी कितनी घटनाएं सामने आती है, जिसमें 6-7-8 साल की मासूम बच्चियों के साथ 14 - 15 साल के लड़के रेप करते है, पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती है और अदालत फैसला सुनाती है, कुछ रुपये जुर्माना और फिर उन्हें छोड़ दिया जाता है क्यों? क्योकि वो भी नाबालिक है।

क्या कभी किसीने उस बच्ची के बारे मे सोचा? वो पूरी जिन्दगी इस घटना से कैसे..... आखिर कैसे जियेगी वो? हमारे देश की कानून व्यवस्था ऐसी क्यों है? क्यों आये दिन ऐसी घटनायें होती रहती है, और दोषी को छोड़ दिया जाता है। जब इस देश में रेपिस्ट की तरफ से केस लड़ने वाले वकील मिल जाते है तो भला आप ही सोचिए कैसे इस देश में रेप केसेस कम होगें?

फिलहाल मैं आपसे यही पूछना चाहूंगी कि आखिर कब तक हमें डर- डर के जीना होगा और कितनी निर्भया को अपनी जान गवानी पडे़गी? मेरा ये सवाल आप से, आखिर और कब तक????

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